गंगा बहती हो क्यों Ganga Behti Ho Kyon Hindi Lyrics – Dr. Bhupen Hazarika

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Ganga Behti Ho Kyun lyrics in Hindi (Devanagari font): Sung by Dr. Bhupen Hazarika & Kavita Krishnamurty, lyrics of the song is penned by Narendra Sharma.

Ganga Behti Ho Kyon Hindi Lyrics



बिस्तिर्नो पारोरे, अशंख्य जोनोरे  
हाहाकार खुनिऊ निशोब्दे निरोबे 
बुढ़ा लुइत तुमि, बुढ़ा लुइत बुआ कियो ?

[विस्तार है आपार, प्रजा दोनों पार
करे हाहाकार निःशब्द सदा 
ओ गंगा तुम, गंगा बहती हो क्यूँ ?] x 2

नैतिकता नष्ट हुई, मानवता भ्रष्ट हुई
निर्लज्ज भाव से बहती हो क्यूँ ?
इतिहास की पुकार, करे हुंकार
ओ गंगा की धार, निर्बल जन को
सबल-संग्रामी, समग्रोगामी
बनाती नहीं हो क्यूँ ?

विस्तार है अपार, प्रजा दोनों पार
करे हाहाकार निःशब्द सदा 
ओ गंगा तुम, गंगा बहती हो क्यूँ ? 

अनपढ़ जन, अक्षरहिन
अनगीन जन, खाद्यविहीन
नेत्रविहीन दिक्षमौन हो क्यूँ ? 

इतिहास की पुकार, करे हुंकार
ओ गंगा की धार, निर्बल जन को
सबल-संग्रामी, समग्रोगामी
बनाती नहीं हो क्यूँ ?

विस्तार है अपार, प्रजा दोनों पार
करे हाहाकार निःशब्द सदा 
ओ गंगा तुम, गंगा बहती हो क्यूँ ?

व्यक्ति रहे व्यक्ति केंद्रित
सकल समाज व्यक्तित्व रहित
निष्प्राण समाज को छोड़ती न क्यूँ ? 

इतिहास की पुकार, करे हुंकार
ओ गंगा की धार, निर्बल जन को
सबल-संग्रामी, समग्रोगामी
बनाती नहीं हो क्यूँ ?

विस्तार है अपार, प्रजा दोनों पार
करे हाहाकार निःशब्द सदा 
ओ गंगा तुम, गंगा बहती हो क्यूँ ?

रुदस्विनी क्यूँ न रहीं ?
तुम निश्चय चितन नहीं
प्राणों में प्रेरणा देती न क्यूँ ? 
उनमद अवमी कुरुक्षेत्रग्रमी
गंगे जननी, नव भारत में
भीष्मरूपी सुतसमरजयी जनती नहीं हो क्यूँ ? 

[विस्तार है अपार, प्रजा दोनों पार
करे हाहाकार, निःशब्द सदा 
ओ गंगा तुम, गंगा बहती हो क्यूँ ? ]x3
ओ गंगा तुम, ओ गंगा तुम 
गंगा तुम, ओ गंगा तुम 
गंगा… बहती हो क्यूँ ?