Diwali Essay in Hindi (दीपावली पर निबंध हिंदी में/diwali par nibandh hindi mein): जैसा की आप इस पोस्ट की शीर्षक में देख पा रहे है ये पोस्ट किस बारे में होने जा रही है। यह हिंदी दीपावली पर निबंध सभी छोटे बच्चों के लिए बहुत उपयोगी होने वाली है, ख़ास कर के Class 1 से 10 में पढ़ने वाले बच्चों के लिये।
Diwali Essay in Hindi – दीपावली पर निबंध
दीपावली भारत के सबसे लोकप्रिय त्यौहारों में से एक है, जो उत्साह और खुशी के साथ बहुत मनाया जाता है। यह त्योहार लगभग सभी धर्म के लोग मनाते हैं। इस त्योहार के आने के कई दिन पहले से ही घरों आस-पास की सफ़ाई और सजावट प्रारंभ हो जाती है। इन दिन पहनने के लिए नए कपड़े बनवाए जाते हैं, मिठाइयां बनाई जाती हैं। इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है इसलिए उनके आगमन और स्वागत के लिए घरों की सफ़ाई की जाती है और सजाया भी जाता है।
ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान श्री राम ने रावण को पराजित करके और अपना चौदह साल का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे। भगवान श्री राम की आने की खुशी में सभी अयोध्या वासियों ने दिये जलाए थे। संपूर्ण शहर को साफ़-सुथरा कर के दीपकों से सजाया गया था। सभी पुरुष, बच्चे और महिलाएं नए वस्त्रों में सजे-धजे थे। मिठाइयां बाटी जा रही थीं और उत्सव मनाया गया था। तब से लेकर अब तक हर वर्ष इस दिन को दीवाली के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है।
भगवान श्री राम के अयोध्या लौटने पर रामचलित मानस में गोस्वामी तुलसी दास लिखते हैं:
सुमन बृष्टि नभ संकुल भवन चले सुखकंद।
चढ़ी अटारिन्ह देखहिं नगर नारि नर बृंद ॥
दोहे का अर्थ: आनन्दकन्द श्री रामजी अपने महल को चले, आकाश फूलों की वृष्टि से छा गया। नगर के स्त्री-पुरुषों के समूह अटारियों पर चढ़कर उनके दर्शन कर रहे हैं ॥
यह त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। अमावस्या की अंधेरी रात जगमग असंख्य दीपों से जगमगाने लगती है और यह नज़ारा बहुत की अद्भुत होता है। दीपावली का त्योहार पांच दिनों तक मनाया जाता है। यह धनतेरस से भाई दूज तक त्योहार चलता है। धनतेरस के दिन घर के लिए कोई नया सामान ख़रीदना अच्छा माना जाता है। अगले दिन नरक चौदस के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करना शुभ माना जाता है। कुछ लोग इस दिन को छोटी दिवाली के रूप में भी मनाते हैं। तीसरा दिन दीपावली त्योहार का मुख्य दिन होता है। इस दिन गणेश-लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। रात में फुलझड़ी और पटाखे छोड़े जाते हैं। दीपावली के चौथे दिन गोवर्धन की पूजा की जाती है, क्योंकि इस दिन भगवान कृष्ण ने इंद्र के क्रोध से हुई मूसलाधार वर्षा से लोगों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी एक उंगली पर उठा लिया था। दिवाली के पाँचवें या त्योहार के आखिरी दिन को भाई दूज के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भई को तिलक लगती है।